सपनों की ट्रेन ने फिर किया निराश, तीन घंटे तक यात्री हुए बेहाल
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने वंदेभारत एक्सप्रेस को भारतीय रेलवे के नए युग की शुरुआत के रूप में प्रस्तुत किया था। यह ट्रेन न केवल देश की आधुनिकता और प्रगति का प्रतीक मानी जाती है, बल्कि इसे यात्री सुविधाओं और समय की पाबंदी के मामले में भी बेहतरीन माना जाता है। हालांकि, हाल ही में हुई एक घटना ने इन दावों पर प्रश्नचिह्न लगा दिया है।
अत्याधुनिक वंदेभारत ट्रेन इटावा के पास हुई ठप
आज दिल्ली से वाराणसी के लिए रवाना हुई वंदेभारत एक्सप्रेस को दोपहर करीब डेढ़ बजे वाराणसी पहुंचना था, लेकिन इटावा के पास ट्रेन में अचानक तकनीकी खराबी आ गई। तीन घंटे तक यात्री ट्रेन में फंसे रहे, जबकि रेलवे का कोई भी अधिकारी या कर्मचारी उन्हें मदद नहीं दे पाया। यात्रियों की शिकायतों को नजरअंदाज किया गया और रेलवे अधिकारियों की ओर से कोई त्वरित सहायता उपलब्ध नहीं कराई गई।
रेलवे का पुराना इंजन आया मदद के लिए
तीन घंटे की देरी के बाद, आखिरकार भारतीय रेलवे ने पुराने इंजन को भेजा, जिसने अत्याधुनिक वंदेभारत एक्सप्रेस को खींचकर पास के स्टेशन तक पहुंचाया। यह वाकया न केवल रेलवे की कार्यक्षमता पर सवाल खड़े करता है, बल्कि यह भी दिखाता है कि अत्याधुनिक तकनीक के बावजूद भारतीय रेलवे अभी भी अपने पुराने तरीकों पर निर्भर है।
यात्रियों को झेलनी पड़ी असुविधा
इस तकनीकी खराबी का सबसे बड़ा खामियाजा यात्रियों को भुगतना पड़ा। तीन घंटे तक ट्रेन में फंसे रहने के कारण यात्रियों को असहनीय गर्मी और उमस का सामना करना पड़ा। वंदेभारत एक्सप्रेस में लगी अत्याधुनिक एयर कंडीशनिंग प्रणाली भी खराब हो गई, जिससे यात्रियों को और भी अधिक परेशानी हुई। कई यात्रियों को अन्य ट्रेनों में भेजा गया, लेकिन वे भी घंटों देरी से पहुंच सके।
सुरक्षा और सुविधाओं के दावों की पोल
वंदेभारत एक्सप्रेस को प्रधानमंत्री मोदी ने यात्रियों की सुरक्षा और सुविधाओं के लिए बनाया गया एक बेहतरीन कदम बताया था। लेकिन इस घटना ने उन दावों की पोल खोल दी है। सवाल उठता है कि जब अत्याधुनिक ट्रेनें भी इस तरह की खराबियों से गुजर सकती हैं, तो यात्री कैसे भारतीय रेलवे पर भरोसा कर सकते हैं?
यात्रियों का गुस्सा
इस पूरी घटना ने यात्रियों के गुस्से को भड़का दिया है। कई यात्रियों ने सोशल मीडिया पर अपनी नाराजगी जाहिर की है और रेलवे की कार्यक्षमता पर सवाल उठाए हैं। “यह क्या अत्याधुनिक ट्रेन है, जो थोड़ी सी समस्या में ही ठप हो जाती है? हमें तीन घंटे तक ट्रेन में भूखे-प्यासे रखा गया और रेलवे का कोई भी अधिकारी हमारी मदद के लिए नहीं आया। अगर यह मोदी जी का सपना है, तो हम इसे बुरे सपने से कम नहीं मान सकते,” एक यात्री ने कहा।
पीएम मोदी के दावों पर उठे सवाल
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने देश के हर नागरिक को सुरक्षित और सुविधाजनक यात्रा का वादा किया था। उन्होंने यह भी कहा था कि “हवाई चप्पल पहनने वाला भी हवाई जहाज़ की यात्रा कर सकेगा।” लेकिन जब बूट पहनने वाले यात्री भी सही-सलामत मंजिल तक नहीं पहुंच पा रहे हैं, तो हवाई चप्पल पहनने वालों की बात करना बेकार लगता है। वंदेभारत ट्रेन की यह घटना मोदी सरकार के बड़े-बड़े दावों पर गंभीर सवाल खड़े करती है।
विपक्ष का हमला
वंदेभारत एक्सप्रेस की इस घटना ने विपक्ष को भी मोदी सरकार पर हमला करने का मौका दे दिया है। विपक्षी नेताओं ने इस घटना को लेकर मोदी सरकार पर तीखा हमला बोला है और रेलवे के निजीकरण के प्रयासों पर सवाल उठाए हैं। “यह सरकार सिर्फ बड़े-बड़े दावे करती है, लेकिन जमीनी हकीकत कुछ और ही है। वंदेभारत ट्रेन का यह हाल देखकर साफ है कि सरकार की प्राथमिकता सिर्फ प्रचार है, वास्तविक विकास नहीं,” विपक्षी नेता ने कहा।
रेलवे की असफलता
यह घटना भारतीय रेलवे की एक और असफलता के रूप में सामने आई है। सरकार चाहे जितने भी दावे कर ले, लेकिन जमीनी स्तर पर रेलवे की दशा सुधरती नजर नहीं आ रही है। रेलवे के अत्याधुनिक प्रोजेक्ट्स भी अगर इस तरह की समस्याओं का सामना कर रहे हैं, तो आम यात्रियों की सुरक्षा और सुविधा का क्या होगा?
भविष्य में सुधार की जरूरत
वंदेभारत एक्सप्रेस की यह घटना न केवल भारतीय रेलवे के लिए बल्कि मोदी सरकार के लिए भी एक चेतावनी है। अगर सरकार वाकई में जनता को बेहतर सुविधाएं देना चाहती है, तो उसे सिर्फ दिखावटी प्रोजेक्ट्स से नहीं, बल्कि जमीनी स्तर पर काम करने की जरूरत है।
वंदेभारत जैसी अत्याधुनिक ट्रेनों की जरूरत जरूर है, लेकिन उन्हें बेहतर संचालन और रखरखाव की भी उतनी ही आवश्यकता है। सरकार और रेलवे को इस दिशा में गंभीरता से काम करना होगा, ताकि भविष्य में ऐसी घटनाएं न हों और जनता को सुरक्षित और सुविधाजनक यात्रा का भरोसा दिलाया जा सके।
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