अदालत से मिली बेगुनाही की जीत
इंदौर, 3 दिसंबर 2024 – तीन साल तक संघर्ष और असहनीय पीड़ा झेलने के बाद, उत्तर प्रदेश के चूड़ी विक्रेता तस्लीम को आखिरकार न्याय मिला। इंदौर की अदालत ने आज उसे सभी झूठे आरोपों से बरी कर दिया। यह फैसला न्याय की ताकत और सच्चाई की जीत का प्रतीक है।
क्या है तस्लीम का मामला?
अगस्त 2021 में तस्लीम, जो चूड़ियां बेचने का काम करता था, अपने परिवार का पेट पालने के लिए इंदौर गया था। बाणगंगा क्षेत्र में चूड़ियां बेचते समय दक्षिणपंथी संगठन के कुछ लोगों ने उसे घेर लिया। तस्लीम पर आरोप लगाया गया कि उसने अपनी पहचान छुपाई है। इसके बाद उसकी न सिर्फ पिटाई की गई बल्कि वीडियो बनाकर वायरल कर दिया गया।
घटना यहीं खत्म नहीं हुई। बाद में पुलिस पर दबाव बनाकर तस्लीम के खिलाफ छेड़खानी का मामला दर्ज कराया गया। एक नाबालिग लड़की का सहारा लेते हुए उसे दोषी ठहराने की कोशिश की गई। तस्लीम को चार महीने तक जेल में रहना पड़ा और तीन साल तक न्याय पाने के लिए संघर्ष करना पड़ा।
पुलिस की भूमिका पर उठे सवाल
पुलिस पर दबाव में काम करने के आरोप लगे। तस्लीम की पिटाई के बावजूद आरोपियों पर कोई कड़ी कार्रवाई नहीं हुई। उल्टा, पुलिस ने तस्लीम के खिलाफ झूठा मामला दर्ज कर लिया। .मानवाधिकार कार्यकर्ताओं और वकीलों ने इसे न्याय प्रणाली के दुरुपयोग का उदाहरण बताया।
तस्लीम की प्रतिक्रिया
फैसले के बाद तस्लीम ने कहा, “यह तीन साल मेरे और मेरे परिवार के लिए बेहद कठिन थे। मैंने अपना सम्मान खो दिया और समाज में मुझे अपराधी के तौर पर देखा गया। लेकिन मुझे हमेशा यकीन था कि सच्चाई की जीत होगी।”
समाज को सोचने की जरूरत
यह मामला समाज के लिए एक सबक है। किसी की जाति या धर्म के आधार पर उसे टारगेट करना और झूठे आरोप लगाना न सिर्फ गैरकानूनी है बल्कि नैतिक रूप से भी गलत है।
मानवाधिकार संगठनों की प्रितिक्रिया
मानवाधिकार संगठनों ने अदालत के इस फैसले का स्वागत किया और इसे न्याय की जीत बताया। उन्होंने कहा कि यह मामला दिखाता है कि कैसे कुछ लोग अपने निजी एजेंडे के लिए कानून का दुरुपयोग करते हैं। संगठनों ने पुलिस और प्रशासन से मामले की गहराई से जांच करने और दोषियों के खिलाफ कार्रवाई करने की मांग की।
आगे की राह
तस्लीम के बरी होने के बाद अब सवाल उठता है कि उसे न्याय दिलाने के लिए जिम्मेदार अधिकारियों और झूठे आरोप लगाने वालों पर कार्रवाई होगी या नहीं। यह घटना यह भी दर्शाती है कि हमारे समाज और प्रशासन को जाति-धर्म से ऊपर उठकर निष्पक्षता के साथ काम करने की जरूरत है।
न्याय के लिए एक प्रेरणा
तस्लीम का संघर्ष और उसकी जीत उन सभी के लिए प्रेरणा है जो अन्याय का सामना कर रहे हैं। यह घटना एक बार फिर साबित करती है कि सत्य परेशान हो सकता है, लेकिन पराजित नहीं।
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