महफिल मिलाद का आयोजन:
तमाम ख्वातीन-ए-इस्लामिया के लिए खुशखबरी है कि मदरसा बनाते सुगरा, जो नूरी मस्जिद के निकट स्थित है, की जानिब से हर साल की तरह इस साल भी माहे रबी उल अव्वल की ग्यारह तारीख को महफिल मिलाद का एहतमाम किया गया है। यह कार्यक्रम रजा बैंक्विट हॉल (गौजा जाली) में आयोजित किया गया,
महफिल में तालिबात का शानदार प्रदर्शन:
महफिल मिलाद में मदरसे की तालिबात ने बड़ी शिद्दत और दिलचस्पी के साथ हिस्सा लिया। हर तालिबा ने अपने अलग अंदाज में इस्लामी तालीम और माहे रबी उल अव्वल की अहमियत पर रोशनी डाली। इस मौके पर मदरसे की तालिबात ने नात-ए-रसूल, दुआएं, और कुरआनी आयात पेश कर के समां बांध दिया।
तालिबात को नवाजे गए इनामात:
इस मुबारक मौके पर बेहतरीन प्रदर्शन करने वाली तालिबात को इनामात से भी नवाजा गया। तालिबात की मेहनत और तैयारी की सराहना करते हुए, उन्हें इस्लामी तालीम में आगे बढ़ने के लिए हौसला दिया गया। यह इनामात उनकी मेहनत और दीन की तालीम के प्रति उनके जज्बे को बढ़ावा देने के लिए दिए गए।
ख्वातीन से खास गुजारिश:
इस मौके पर तमाम ख्वातीन से खास गुजारिश की गई कि वह इस तरह की महफिलों में शिरकत करें और अपने बच्चों को भी दीन की तालीम की तरफ़ माइल करें। महफिल का मकसद दीन-ए-इस्लाम की सही तालीमात को फैलाना और नबी-ए-पाक (स.अ.व.) की सीरत को आम करना है। इसलिए, मदरसे की जानिब से ख्वातीन को अपने बच्चों को दीन की तालीम की तरफ़ ध्यान दिलाने की अपील की गई है।
महफिल के मकसद और असरात:
महफिल मिलाद का असल मकसद नबी-ए-करिम (स.अ.व.) की विलादत की खुशी में उन की सीरत और तालीमात पर अमल करना और उन्हें अपनी जिंदगी में शामिल करना है। इस तरह के प्रोग्राम का मकसद न सिर्फ़ बच्चों की तालीम को बढ़ावा देना है बल्कि उनके अंदर दीन-ए-इस्लाम की तालीमात और अदब को भी पैदा करना है।
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