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हरिद्वार के पूर्व सांसद डॉ. रमेश पोखरियाल निशंक ने

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By Rihan Khan

 

 

रिपोर्टर मुरसलीन अल्वी

भगवानपुर: विकास नहीं साहब, बदतर हैं हालात

आज पूरा देश डिजिटल इंडिया और चांद पर घर बसाने की बात कर रहा है, लेकिन एक ऐसा क्षेत्र भी है जहां के लोग आज भी 14वीं सदी जैसी जिंदगी जीने को मजबूर हैं। सड़कें नहीं, सुविधाएं नहीं, और हालात बद से बदतर हो चुके हैं। आखिर क्या वजह है कि ये क्षेत्र आज भी विकास से कोसों दूर है? देखिए हमारी खास रिपोर्ट।

सांसद के गोद लेने के बावजूद बदहाल सड़कें

जो तस्वीरें आप देख रहे हैं, ये किसी पहाड़ी क्षेत्र की दुर्गम सड़कें नहीं, बल्कि एक ऐसे गांव की मुख्य सड़क है जिसे हरिद्वार के पूर्व सांसद डॉ. रमेश पोखरियाल निशंक ने दो बार गोद लिया था। यह सड़क दो दर्जन से अधिक गांवों को तहसील और ब्लॉक से जोड़ती है। हर दिन हजारों लोग इस जर्जर सड़क से गुजरते हैं, जिसमें स्कूल जाने वाले बच्चे, बीमार मरीज और बुजुर्ग शामिल हैं। लेकिन यह सड़क सालों से अपनी बदहाली पर आंसू बहा रही है।

दो विधानसभाओं की सड़क, लेकिन ध्यान देने वाला कोई नहीं

यह सड़क ज्वालापुर और भगवानपुर, दो विधानसभा क्षेत्रों में आती है। खेड़ी शिकोहपुर गांव से भगवानपुर रोड का जो हिस्सा आता है, वह ज्वालापुर विधानसभा में पड़ता है, जबकि खेड़ी शिकोहपुर से फतेहपुर होते हुए आगे जाने वाला हिस्सा भगवानपुर विधानसभा में आता है। यह सड़क हरिद्वार लोकसभा क्षेत्र में है, लेकिन दशकों से इसका हाल जस का तस बना हुआ है। सरकारें बदलीं, विधायक और सांसद बदले, मगर इस सड़क की हालत नहीं बदली।

विधायकों के वादे, लेकिन सड़क अब भी अधूरी

फिलहाल ज्वालापुर से कांग्रेस विधायक रवि बहादुर और भगवानपुर से कांग्रेस विधायक ममता राकेश हैं। जब इस मुद्दे पर रवि बहादुर से बात की गई तो उन्होंने कहा कि वह उच्चाधिकारियों से लगातार संपर्क में हैं और जल्द ही इस सड़क का टेंडर खुलेगा। लेकिन ग्रामीणों को अब इन वादों पर भरोसा नहीं रहा, क्योंकि इससे पहले भी विधायक जी कई बार यह वादा कर चुके हैं, लेकिन सड़क की हालत नहीं सुधरी।

यूपी से आए लोगों ने कहा- दोबारा यहां नहीं आएंगे

इस क्षेत्र में अपने रिश्तेदारों से मिलने आए उत्तर प्रदेश के कुछ लोगों से जब इस सड़क के बारे में पूछा गया, तो उन्होंने साफ कहा कि इतनी खराब सड़क उन्होंने पहले कभी नहीं देखी। उन्होंने यह तक कह दिया कि वे दोबारा इस गांव में आने से बचेंगे।

क्या आंदोलन से ही खुलेगी सरकार की नींद?

अब बड़ा सवाल यह है कि आखिर उत्तराखंड को यूपी और दो दर्जन गांवों को जोड़ने वाली यह सड़क आज तक क्यों नहीं बनाई गई? क्या लोगों को आंदोलन करना पड़ेगा, तब जाकर सरकार की नींद खुलेगी? मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी गड्ढा मुक्त उत्तराखंड की बात करते हैं, लेकिन क्या यह इलाका उत्तराखंड से बाहर है? ग्रामीण अब उम्मीद छोड़ चुके हैं और सरकार से जवाब मांग रहे हैं।

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