
चुनावों में आरपी सिंह की एंट्री पर विवाद
वनभूलपुरा में चुनावी सरगर्मियां तेज हैं, लेकिन निर्दलीय मेयर प्रत्याशी आरपी सिंह की सक्रियता पर सवाल खड़े हो रहे हैं। ताज चौराहे पर लगी उनकी बड़ी होर्डिंग्स और क्षेत्र में उनकी बढ़ती उपस्थिति ने चर्चाओं का माहौल गर्म कर दिया है। स्थानीय लोग उनकी उम्मीदवारी को क्षेत्र के हितों से ज्यादा एक राजनीतिक चाल मान रहे हैं।
मुस्लिम वोटों को साधने की कोशिश?
वनभूलपुरा के लोग यह सवाल उठा रहे हैं कि आरपी सिंह को क्षेत्र की समस्याओं और सामाजिक संरचना की कितनी समझ है। कई लोगों का मानना है कि उनकी सक्रियता केवल मुस्लिम वोट बैंक को प्रभावित करने की कोशिश है। स्थानीय निवासियों का आरोप है कि यह कदम क्षेत्र की वास्तविक समस्याओं को नजरअंदाज कर राजनीतिक लाभ उठाने के लिए उठाया गया है।
बीजेपी से संबंधों पर शक ?
आरपी सिंह को लेकर यह आरोप भी लग रहे हैं कि वह बीजेपी की ‘बी टीम’ के रूप में काम कर रहे हैं। राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि उनकी उम्मीदवारी मुख्य विपक्षी दलों के वोट काटने के लिए एक सोची-समझी रणनीति का हिस्सा हो सकती है। स्थानीय लोग इस बात पर चर्चा कर रहे हैं कि क्या यह कदम वोटों के ध्रुवीकरण और क्षेत्रीय राजनीति को प्रभावित करने की कोशिश है।
वनभूलपुरा की समस्याओं पर कितनी समझ?
वनभूलपुरा की मुख्य समस्याएं—गंदगी, घरों के ध्वस्तीकरण का खतरा और बेरोजगारी—आज भी जस की तस हैं। स्थानीय जनता का कहना है कि आरपी सिंह इन मुद्दों पर कोई ठोस योजना या समझ नहीं रखते। उनका चुनावी अभियान केवल वोट बैंक की राजनीति तक सीमित दिखाई दे रहा है।
स्थानीय प्रत्याशियों की गैरमौजूदगी से निराशा
वनभूलपुरा से कोई भी स्थानीय प्रत्याशी चुनावी मैदान में नहीं है, जिससे जनता में निराशा का माहौल है। आरपी सिंह की उम्मीदवारी को लोग क्षेत्र के विकास और प्रतिनिधित्व से खिलवाड़ मान रहे हैं। कई लोगों का मानना है कि यह क्षेत्रीय अनदेखी का उदाहरण है।
चुनावी नतीजों का क्या होगा असर?
चुनाव परिणाम चाहे जो भी हों, लेकिन वनभूलपुरा की जनता के बीच आरपी सिंह की उम्मीदवारी और उनके इरादों को लेकर गहरी नाराजगी है। यह स्थिति न केवल क्षेत्रीय राजनीति को प्रभावित कर रही है, बल्कि विकास के मुद्दों से भी ध्यान भटका रही है।
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