ओखलकांडा के युवक पर पुलिस अत्याचार के मामले में न्यायालय का बड़ा फैसला:

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By Rihan Khan

हरीश पनेरु की लड़ाई में मिली सफलता

हल्द्वानी: राज्य आंदोलनकारी एवं दर्जा राज्य मंत्री हरीश पनेरु ने आज हल्द्वानी में प्रेस वार्ता कर एक महत्वपूर्ण जानकारी साझा की। उन्होंने बताया कि बीते 20 सितंबर को ओखलकांडा निवासी युवक मनमोहन शर्मा को खनस्यू थाने में पुलिस द्वारा बर्बरता से पीटा गया था। आरोप है कि उप निरीक्षक सादिक हुसैन और दो सिपाहियों ने मनमोहन शर्मा के साथ थाने में अत्याचार किया, जिसके विरोध में हरीश पनेरु और उनके साथियों ने आंदोलन छेड़ा।

न्यायालय का आदेश, मुकदमा दर्ज कर जांच के निर्देश

हरीश पनेरु ने बताया कि उनकी न्याय की इस लड़ाई में अब जीत मिली है। अदालत के आदेश पर पुलिसकर्मियों के खिलाफ मुकदमा दर्ज कर लिया गया है और विवेचना शुरू करने के निर्देश जारी किए गए हैं। यह निर्णय उनके संघर्ष और आंदोलन की जीत को दर्शाता है, जिसे उन्होंने पूरी निष्ठा और ईमानदारी के साथ लड़ा।

पीड़ित को मिल रहा है दबाव

इस प्रेस वार्ता में मनमोहन शर्मा ने भी अपनी बात रखते हुए बताया कि इस घटना के बाद से उन पर लगातार समझौता करने का दबाव बनाया जा रहा है। उन्होंने आरोप लगाया कि क्षेत्र के कुछ प्रभावशाली और राजनीतिक रूप से जुड़े लोग उन्हें पुलिस के साथ समझौता करने के लिए बाध्य कर रहे हैं। मनमोहन शर्मा ने कहा कि वह न्याय के लिए संघर्ष जारी रखेंगे और किसी भी प्रकार का समझौता करने से इंकार किया।

हरीश पनेरु की न्याय की लड़ाई

हरीश पनेरु ने कहा कि यह सिर्फ एक व्यक्ति के खिलाफ अत्याचार का मामला नहीं है, बल्कि ओखलकांडा जैसे पिछड़े क्षेत्रों में हो रहे पुलिसिया उत्पीड़न के खिलाफ एक महत्वपूर्ण लड़ाई है। उन्होंने स्पष्ट किया कि वह इस लड़ाई को अंत तक जारी रखेंगे ताकि किसी भी नागरिक के साथ इस तरह की बर्बरता न हो। उन्होंने यह भी बताया कि कुछ लोग आज भी इस घटना के बावजूद पीड़ित को परेशान करने में लगे हैं और उन्हें प्रताड़ित कर रहे हैं।

राजनीतिक हस्तक्षेप और संघर्ष की चुनौतियां

हरीश पनेरु ने आरोप लगाया कि कुछ राजनीतिक हस्तियों द्वारा इस मामले में हस्तक्षेप किया जा रहा है और पीड़ित को दबाव में लाने की कोशिश की जा रही है। उन्होंने स्पष्ट किया कि वह किसी भी दबाव में नहीं आएंगे और पीड़ित के साथ अन्याय के खिलाफ मजबूती से खड़े रहेंगे। उन्होंने कहा कि यह लड़ाई सिर्फ मनमोहन शर्मा की नहीं है, बल्कि समाज के हर उस व्यक्ति की है जो पुलिस के अत्याचारों का शिकार हो सकता है।

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