मस्जिद ए उमर दरऊ और सजावट कमेटी की अनूठी पहल
आज के दौर में जहां सजावट और तामझाम के नाम पर बेहयाई (अश्लीलता) बढ़ती जा रही है, वहीं कुछ लोग इसके खिलाफ आवाज़ उठा रहे हैं। मस्जिद ए उमर दरऊ और सजावट कमेटी मुहल्ला इस्लाम नगर दरऊ की जानिब से एक अनूठी पहल की गई है, जिसके तहत सजावट के नाम पर होने वाली अश्लीलता को रोकने का प्रयास किया जा रहा है। यह पहल एक संदेश देती है कि किसी भी बुरे काम को बढ़ने से रोकने के लिए हमें प्रयास करना ही पड़ेगा।
बेहयाई के खिलाफ आवाज़ उठाने की ज़रूरत
सजावट के नाम पर बेहयाई एक ऐसा मुद्दा बन गया है, जो आज की पीढ़ी को बुरी तरह से प्रभावित कर रहा है। धार्मिक और सामाजिक आयोजनों में सजावट के बहाने कई बार शालीनता की सीमाएं पार हो जाती हैं। न केवल सजावट के आइटम, बल्कि उनके प्रदर्शन का तरीका भी बेहयाई को बढ़ावा देता है। इसी के खिलाफ आवाज़ उठाने के लिए मस्जिद ए उमर दरऊ और सजावट कमेटी ने पहल की है। उन्होंने सजावट के इस बढ़ते व्यापार में शरीयत के मानकों का पालन करते हुए सादगी और अनुशासन को बढ़ावा देने का संकल्प लिया है।
गुनाह को रोकने के तरीके
इस्लामिक शिक्षाओं के अनुसार, किसी भी गुनाह को रोकने के तीन मुख्य तरीके होते हैं –
1 हाथ से रोकना: यदि हमारे पास अधिकार और शक्ति है, तो हमें किसी भी बुराई को रोकने के लिए शारीरिक रूप से प्रयास करना चाहिए।
2 ज़बान से रोकना: यदि शारीरिक रूप से रोकना संभव न हो, तो हमें अपनी ज़बान से उस बुराई का विरोध करना चाहिए और लोगों को इसके खिलाफ जागरूक करना चाहिए।
3 दिल में बुरा जानना: अगर हम किसी भी कारण से उस बुराई को रोकने में सक्षम नहीं हैं, तो कम से कम दिल में उसे बुरा जानना चाहिए और उससे नफरत करनी चाहिए।
मस्जिद ए उमर दरऊ और सजावट कमेटी की यह पहल इन्हीं तीनों सिद्धांतों पर आधारित है। वे सजावट के नाम पर होने वाली अश्लीलता को रोकने के लिए न केवल अपनी सजावट को सादगी में सीमित रख रहे हैं, बल्कि दूसरों को भी इसके प्रति जागरूक कर रहे हैं।
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