
बांग्लादेश की प्रधानमंत्री शेख हसीना के विवादित बयान से बढ़ा विरोध, भारतीय वायु क्षेत्र में विमान की आपात लैंडिंग
बांग्लादेश की प्रधानमंत्री शेख हसीना के एक बयान ने पूरे देश में विवाद खड़ा कर दिया है। 1971 के स्वतंत्रता संग्राम के दौरान देशद्रोह का प्रतीक माने जाने वाले ‘रजाकार’ शब्द के इस्तेमाल ने छात्रों और आम जनता के बीच आक्रोश पैदा कर दिया है। इस विवाद के बीच, शेख हसीना के विमान को भारतीय वायु क्षेत्र में आपात स्थिति के कारण गाजियाबाद में लैंड कराना पड़ा।
शेख हसीना का विवादित बयान
इस नीति का उद्देश्य उन लोगों को सम्मान देना था जिन्होंने देश की आजादी के लिए अपने जीवन को समर्पित किया था। लेकिन अब यह आरक्षण तीसरी पीढ़ी तक पहुँच चुका है, जिससे देश में छात्रों के बीच असंतोष फैल गया है।
14 जुलाई को, एक प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान, जब प्रधानमंत्री शेख हसीना से छात्रों के इस आंदोलन के बारे में पूछा गया, तो उन्होंने विवादास्पद बयान दे दिया। उन्होंने कहा, “यदि स्वतंत्रता सेनानियों के पोते-पोतियों को कोटा नहीं मिलता है, तो किसे मिलेगा? रज़ाकारो के पोते-पोतियों को?” इस बयान के बाद देशभर में विरोध प्रदर्शनों की आग और भड़क उठी।
रज़ाकार शब्द बांग्लादेश के लिए एक गहरे घाव के समाहै, क्योंकि इसे उन लोगों के लिए इस्तेमाल किया जाता है जिन्होंने 1971 में पाकिस्तान की सेना का साथ दिया था और बांग्लादेश की आजादी का विरोध किया था।
छात्रों का आंदोलन और हिंसा:
शेख हसीना के बयान ने आग में घी डालने का काम किया। छात्र जो पहले से ही स्वतंत्रता सेनानियों के वंशजों के आरक्षण को लेकर आंदोलन कर रहे थे, अब सरकार के खिलाफ और भी उग्र हो गए। प्रदर्शनकारी छात्रों का कहना है कि वर्तमान में यह आरक्षण नीति अन्य योग्य उम्मीदवारों के अवसरों को छीन रही है और यह अब अपने उद्देश्य से भटक चुकी है। आंदोलन की शुरुआत शांतिपूर्ण तरीके से हुई थी, लेकिन जैसे-जैसे समय बीता, यह हिंसात्मक रूप लेने लगा। कई जगहों पर पुलिस और प्रदर्शनकारियों के बीच झड़पें हुईं, जिसमें कई लोग घायल भी हुए।
बांग्लादेश में जारी राजनीतिक संकट

बांग्लादेश में इस वक्त राजनीतिक अस्थिरता का माहौल है। छात्रों के आंदोलन के साथ-साथ विपक्षी पार्टियां भी शेख हसीना के बयान और उनकी सरकार की नीतियों के खिलाफ आवाज उठा रही हैं। विपक्षी नेताओं का कहना है कि हसीना का बयान उनके तानाशाही रवैये को दर्शाता है और यह लोकतांत्रिक मूल्यों के खिलाफ है। वहीं, शेख हसीना और उनकी पार्टी ने अब तक अपने बयान पर माफी मांगने से इनकार कर दिया है, जिससे राजनीतिक तनाव और बढ़ गया है।
बांग्लादेश इस वक्त राजनीतिक और सामाजिक उथल-पुथल के दौर से गुजर रहा है। प्रधानमंत्री शेख हसीना के विवादित बयान ने इस संकट को और गहरा कर दिया है। जहां एक ओर छात्र और विपक्षी दल हसीना के बयान और नीतियों के खिलाफ सड़कों पर हैं, वहीं दूसरी ओर, हसीना सरकार अपनी स्थिति को मजबूत बनाए रखने के लिए संघर्ष कर रही है। भविष्य में इस संकट का क्या रूप होगा, यह देखने वाली बात होगी, लेकिन फिलहाल बांग्लादेश एक कठिन दौर से गुजर रहा है।
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