कथित पत्रकारों की कठपुतली बना सूचना विभाग?
सूचना विभाग पर उठ रहे सवाल
हल्द्वानी का सूचना विभाग इन दिनों गंभीर आरोपों से घिरा हुआ है। स्थानीय पत्रकारों और न्यूज पोर्टल संचालकों का कहना है कि विभाग कुछ तथाकथित पत्रकारों के इशारे पर काम कर रहा है और सरकारी सूचनाओं का बंटवारा निष्पक्ष रूप से नहीं किया जा रहा। खास पत्रकारों को प्राथमिकता देने और बाकी को नजरअंदाज करने की नीति पर सवाल उठ रहे हैं।
कुमाऊं कमिश्नर से शिकायत की तैयारी
सूचना विभाग में पत्रकारों के साथ भेदभाव को लेकर विवाद गहराता जा रहा है। अब कुछ न्यूज पोर्टल संचालकों ने लिखित शिकायत करने का मन बना लिया है। उनका कहना है कि वे कुमाऊं कमिश्नर से मांग करेंगे कि या तो सभी न्यूज पोर्टल संचालकों को “नैनीताल अलर्ट” ग्रुप में शामिल किया जाए या फिर सभी को हटा दिया जाए, ताकि पक्षपात न हो।
चुनिंदा पत्रकारों को ही सरकारी सूचना?
सूत्रों के अनुसार, सूचना विभाग चुनिंदा पत्रकारों को ही सरकारी प्रेस विज्ञप्ति और महत्वपूर्ण खबरें भेज रहा है। “नैनीताल अलर्ट” नामक व्हाट्सएप ग्रुप में भी कुछ पत्रकारों के प्रभाव में ही सदस्यों को जोड़ा या हटाया जाता है। सवाल यह उठता है कि क्या सरकारी सूचना विभाग अब कुछ पत्रकारों के निजी स्वार्थों के लिए काम कर रहा है?
न्यूज पोर्टल संचालकों की अनदेखी
कई न्यूज पोर्टल संचालकों ने शिकायत की है कि उन्हें सूचना विभाग से कोई सहयोग नहीं मिल रहा। वे लंबे समय से पत्रकारिता कर रहे हैं, लेकिन सरकारी जानकारी से उन्हें वंचित रखा जा रहा है। इससे उनके कामकाज पर असर पड़ रहा है और उन्हें सही खबरों तक पहुंचने में मुश्किल हो रही है।
सूचना विभाग के अंदर बढ़ता विवाद
सूचना विभाग के कर्मचारियों और पत्रकारों के बीच भी आए दिन विवाद की खबरें सामने आ रही हैं। कुछ मौकों पर यह विवाद बहस से बढ़कर हाथापाई तक पहुंच चुका है। इस तरह की घटनाएं विभाग की कार्यप्रणाली पर गंभीर सवाल खड़े करती हैं।
डी जी सूचना से शिकायत भी बेअसर
न्यूज पोर्टल संचालकों ने एक महीने पहले इस मामले की शिकायत डी जी सूचना से भी की थी, लेकिन अब तक कोई समाधान नहीं निकला। आरोप है कि विभाग में कुछ पत्रकारों का इतना दबदबा है कि वे तय करते हैं कि किसका नंबर सरकारी व्हाट्सएप ग्रुप में जोड़ा जाए और किसका हटाया जाए।
दो जिला सूचना अधिकारी होने के बावजूद कोई हल नहीं!
यह बेहद हैरान करने वाली बात है कि हल्द्वानी में दो जिला सूचना अधिकारी तैनात होने के बावजूद यह अनियमितता बनी हुई है। सूचना विभाग को निष्पक्ष तरीके से काम करना चाहिए, लेकिन यहां पर चुनिंदा पत्रकारों को ही फायदा पहुंचाया जा रहा है।
निष्पक्ष पत्रकारिता पर खतरा
सूचना विभाग का इस तरह का पक्षपात पत्रकारिता की निष्पक्षता और पारदर्शिता के लिए खतरा है। अगर सरकार ने इस मामले में हस्तक्षेप नहीं किया तो आने वाले समय में स्वतंत्र पत्रकारिता पर गंभीर संकट खड़ा हो सकता है। प्रशासन को तुरंत इस मामले की जांच कर निष्पक्ष पत्रकारों को भी सरकारी सूचना उपलब्ध कराने की व्यवस्था करनी चाहिए, ताकि लोकतंत्र के चौथे स्तंभ को कमजोर होने से बचाया जा सके।
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