
भीड़, लापरवाही और खतरे का मेला… क्या हादसे का इंतज़ार कर रहा है सिस्टम?
हल्द्वानी – शहर के बीचोंबीच चल रही नुमाइश इन दिनों मनोरंजन से ज्यादा अव्यवस्था, लापरवाही और प्रशासनिक चूक का सबसे बड़ा उदाहरण बन गई है। भीड़ में उमस, अफरातफरी और सुरक्षा की अनदेखी—हर कोना एक सवाल खड़ा कर रहा है। 15 अगस्त जैसे संवेदनशील दिन के ठीक पहले ये तस्वीरें और भी डरावनी लग रही हैं। शुक्र है कि रक्षा बंधन बिना किसी बड़े हादसे के निकल गया, वरना भीड़ और अव्यवस्था की स्थिति में कुछ भी हो सकता था। उस दिन भी सभी लिंक रोड पूरी तरह जाम हो गए थे, और यातायात व्यवस्था पूरी तरह ठप हो गई थी।

बिना सत्यापन के बाहर से आए दुकानदार
पूर्व में नैनीताल पुलिस की सत्यापन को लेकर कारवाही पूरे शहर ने देखी है और अब नुमाइश में दुकानें चला रहे ज्यादातर व्यापारी उत्तराखंड के बाहर से हैं, लेकिन हैरानी की बात यह है कि उनका कोई स्थानीय पुलिस द्वारा सत्यापन हुआ? हजारों की भीड़ के बीच बिना पहचान-पत्र जांच के इनको जगह देना, सुरक्षा के लिहाज से आत्मघाती फैसला है। अगर कोई संदिग्ध गतिविधि हुई, तो जवाबदेही किसकी?
खाने-पीने की दुकानों पर FSSAI का नामोनिशान नहीं

खाने-पीने के स्टॉल पर न तो FSSAI प्रमाणपत्र दिखता है, न ही किसी ने उनकी जांच की। हजारों लोग रोज इन स्टॉलों से खाना खा रहे हैं, लेकिन उनकी सेहत का जिम्मेदार कौन? दूषित भोजन, फूड पॉइजनिंग या किसी गंभीर बीमारी के फैलने पर कौन खड़ा होगा जिम्मेदारी लेने?
टिकट और ठेकों में पारदर्शिता गायब

इंट्री टिकट, झूले, पार्किंग—किसी पर भी GST नंबर नहीं। करोड़ों रुपये का लेन-देन हो रहा है, लेकिन सरकारी खजाने में कितना जा रहा है, कोई नहीं जानता। क्या यह सीधे-सीधे टैक्स चोरी नहीं? किसकी शह पर यह खेल चल रहा है?सूत्रों की माने तो यह काले धन को सफेद करने का काम चल रहा है?
भीड़ और ट्रैफिक से शहर पस्त – रक्षा बंधन की तस्वीर चौंकाने वाली
नुमाइश स्थल के आसपास के सभी लिंक रोड रोज जाम। रक्षा बंधन के दिन यह स्थिति चरम पर थी—शहर की लगभग सभी लिंक रोड पूरी तरह ब्लॉक हो गईं, लोग घंटों फंसे रहे, कई एंबुलेंस और जरूरी सेवाएं भी जाम में अटक गईं। शुक्र है कि उस दिन कोई बड़ा हादसा नहीं हुआ, लेकिन आने वाले 15 अगस्त पर अगर ऐसी स्थिति बनी, तो नतीजे भयावह हो सकते हैं।
विरोध और चेतावनियों के बावजूद मिली अनुमति

स्थानीय लोग और संगठन पहले ही अव्यवस्थाओं और संभावित खतरे की चेतावनी दे चुके थे, फिर भी अनुमति दी गई। सवाल है—क्या ये फैसला किसी बड़े ठेकेदार और अधिकारी की मिलीभगत से हुआ?
सरकारी विभागों की खामोश मिलीभगत?

ADM विवेक राय के इस बयान पर भी ध्यान दे प्रशासन
नगर निगम, खाद्य विभाग, पुलिस, यातायात विभाग—सभी की जिम्मेदारी है कि व्यवस्था देखें, लेकिन सब खामोश हैं। क्या आदेश ऊपर से है कि आंखें बंद कर ली जाएं? अगर नहीं, तो कार्रवाई क्यों नहीं?
15 अगस्त से पहले खतरे की घंटी
नुमाइश में रोज हजारों की भीड़, लेकिन अग्निशमन गाड़ियां, आपातकालीन निकास, मेडिकल टीम—सब बस दिखावे के लिए। 15 अगस्त पर भीड़ कई गुना बढ़ेगी। क्या प्रशासन ने कभी सोचा है कि भगदड़ या आतंकी वारदात जैसी घटना में क्या होगा?
क्या हादसा होने के बाद ही जागेगा प्रशासन?
इतिहास गवाह है कि देशभर में ऐसे आयोजनों में लापरवाही ने कितनी जिंदगियां छीनी हैं। हल्द्वानी में भी हालात उसी ओर इशारा कर रहे हैं। अब सवाल है—क्या प्रशासन को सबक लेने के लिए हादसे का इंतज़ार है?
अब भी वक्त है – ठोस कदम उठाओ
सभी दुकानदारों का तत्काल सत्यापनसभी खाद्य स्टॉल का FSSAI जांच और प्रमाणपत्र अनिवार्य
GST विवरण के बिना किसी भी टिकट या ठेके को तुरंत रद्द
ट्रैफिक और भीड़ नियंत्रण के लिए अतिरिक्त फोर्स
15 अगस्त के लिए अलग सुरक्षा और इमरजेंसी प्लान
हल्द्वानी नुमाइश फिलहाल एक बारूद के ढेर पर बैठी है। अगर तुरंत सख्त कदम नहीं उठाए गए, तो यह आयोजन किसी दिन मातम में बदल सकता है। 15 अगस्त प्रशासन के लिए सिर्फ स्वतंत्रता दिवस नहीं, बल्कि अपनी जिम्मेदारी और संवेदनशीलता साबित करने का असली इम्तिहान होगा।
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