भाजपा विधायक के भाई को 40 ज़िंदा कारतूस के साथ पकड़ा,

Photo of author

By Rihan Khan

एसएसबी ने किया पुलिस के हवाले

टनकपुर, उत्तराखण्ड: उत्तराखण्ड में भारत-नेपाल बॉर्डर पर एक सनसनीखेज घटना सामने आई है। एसएसबी (सशस्त्र सीमा बल) ने भाजपा विधायक प्रमोद नैनवाल के भाई सतीश नैनवाल को 40 ज़िंदा कारतूस के साथ पकड़ा है। यह घटना टनकपुर के पास बनबसा थाना क्षेत्र की है, जो कि भारत-नेपाल सीमा पर स्थित है। इस घटना ने राज्य में हलचल मचा दी है और राजनीतिक गलियारों में चर्चाओं का दौर शुरू हो गया है।

कैसे हुआ खुलासा?

सूत्रों के अनुसार, एसएसबी की टीम को बॉर्डर पर गश्त के दौरान संदेह हुआ और उन्होंने सतीश नैनवाल की तलाशी ली। तलाशी के दौरान 40 ज़िंदा कारतूस बरामद किए गए, जो कि बिना किसी वैध लाइसेंस के थे। यह घटना उस समय की है जब सुरक्षा बल भारत-नेपाल सीमा पर कड़ी निगरानी रखे हुए हैं। बताया जा रहा है कि सतीश नैनवाल के साथ एक और व्यक्ति भी था, जिसे एसएसबी ने हिरासत में लिया है और दोनों को पुलिस के हवाले कर दिया गया है।

राजनीतिक तूफ़ान का आग़ाज़

इस घटना ने उत्तराखण्ड की राजनीति में उथल-पुथल मचा दी है। भाजपा विधायक प्रमोद नैनवाल रानीखेत से विधायक हैं और उनके भाई का इस तरह से पकड़ा जाना उनके लिए एक बड़ा झटका साबित हो सकता है। वहीं, विपक्षी दलों ने इस मुद्दे को तुरंत लपक लिया है और भाजपा पर निशाना साधा है। विपक्षी नेताओं का कहना है कि यह भाजपा की आंतरिक संरचना में खामी का परिणाम है और इस मामले की गहराई से जांच होनी चाहिए।

विधायक का बयान

सूत्रों के अनुसार घटना के बाद विधायक प्रमोद नैनवाल ने एक बयान जारी किया है, जिसमें उन्होंने अपने भाई सतीश को बेक़सूर बताया है। उनका कहना है कि उनके भाई को फंसाया जा रहा है और यह साजिश के तहत किया गया है। नैनवाल ने यह भी दावा किया है कि उनके भाई का कोई आपराधिक रिकॉर्ड नहीं है और उन्हें इस तरह से बदनाम करने की कोशिश की जा रही है।

पुलिस की प्रतिक्रिया

बनबसा थाना पुलिस ने इस मामले में तुरंत कार्रवाई की है और एसएसबी द्वारा सौंपे गए दोनों व्यक्तियों को हिरासत में लेकर जांच शुरू कर दी है। पुलिस अधीक्षक ने कहा है कि मामले की गंभीरता को देखते हुए निष्पक्ष जांच की जाएगी और दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी, चाहे वे कितने भी प्रभावशाली क्यों न हों। पुलिस इस बात की भी जांच कर रही है कि कारतूस कहां से आए और उनका उद्देश्य क्या था।

कानूनी पक्ष

उत्तराखण्ड में अवैध हथियारों और गोला-बारूद की तस्करी एक गंभीर अपराध माना जाता है। ऐसे मामलों में दोषी पाए जाने पर कड़ी सज़ा का प्रावधान है। विशेषज्ञों का मानना है कि अगर सतीश नैनवाल के खिलाफ आरोप सिद्ध हो जाते हैं, तो उन्हें कड़ी सज़ा का सामना करना पड़ सकता है। साथ ही, इस मामले में राजनीतिक दबाव भी आ सकता है, जिससे जांच प्रक्रिया प्रभावित हो सकती है।

विपक्ष का हमला

विपक्षी दल कांग्रेस और आम आदमी पार्टी ने इस घटना पर भाजपा को घेरना शुरू कर दिया है। कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष का कहना है कि भाजपा नेताओं के परिवारजन भी अब अवैध गतिविधियों में संलिप्त पाए जा रहे हैं। यह भाजपा की कथनी और करनी में अंतर को दिखाता है। आम आदमी पार्टी ने भी इस घटना की निंदा की है और कहा है कि यह भाजपा के भ्रष्टाचार का एक और उदाहरण है।

अंतरराष्ट्रीय सीमा पर सुरक्षा बढ़ी

भारत-नेपाल सीमा पर ऐसी घटनाएं सुरक्षा एजेंसियों के लिए चिंता का विषय बन गई हैं। सीमा पर तस्करी और अवैध गतिविधियों पर नजर रखने के लिए सुरक्षा बलों को और सतर्क किया गया है। एसएसबी और अन्य सुरक्षा एजेंसियां अब बॉर्डर पर और कड़ी निगरानी कर रही हैं, ताकि ऐसी घटनाएं दोबारा न हो सकें।

क्या होगा आगे?

इस घटना के बाद उत्तराखण्ड की राजनीति में हड़कंप मचा हुआ है। सभी की नजरें अब पुलिस की जांच पर टिकी हैं। अगर जांच में सतीश नैनवाल दोषी पाए जाते हैं, तो यह भाजपा के लिए एक बड़ी चुनौती साबित हो सकती है। वहीं, विधायक प्रमोद नैनवाल अपने भाई को बचाने के लिए हर संभव प्रयास कर सकते हैं। इस मामले में आगे की कार्रवाई पर सभी की नजरें बनी हुई हैं।

निष्कर्ष

उत्तराखण्ड की यह घटना न केवल राज्य की राजनीति बल्कि सुरक्षा व्यवस्था पर भी सवाल खड़े कर रही है। भाजपा विधायक के भाई का इस तरह से पकड़ा जाना एक बड़ी खबर है और इसके राजनीतिक और कानूनी परिणाम दूरगामी हो सकते हैं। अब देखना यह है कि पुलिस और सुरक्षा एजेंसियां इस मामले में क्या कदम उठाती हैं और क्या यह घटना राज्य की राजनीति में कोई बड़ा मोड़ ला सकती है।

By Diamond fashion boutique

 

 

error: Content is protected !!